Share Market Glossary – Share Market me Use Hone Wale Words – Share Market Vocabulary -100 शब्दों के बारे में जानिए

हम आपको इस आर्टिकल में 100 शब्दों, जो Share Market me Use Hone Wale Words होते हैं मतलब स्टॉक मार्केट की शब्दावली (Share Market Glossary/Share Market Vocabulary) की जानकारी देने वाले हैं। अगर आप शेयर मार्केट को अच्छे से जानना और सीखना चाहते हो तो आपको सबसे पहले Share Market Glossary/Share Market Vocabulary को समझना होगा। इस आर्टिकल का उद्देश्य यही हैं कि निवेश करने से पहले इसकी मूलभूत जानकारी होना ज़रूरी है। यहां कुछ महत्वपूर्ण 100 शब्दों का अर्थ दिया गया है जो आपको शेयर बाजार को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे। चलो शुरू करते हैं…..

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Accumulation – अक्युमुलेशन

  • यह वह स्थिति है जब निवेशक किसी विशेष स्टॉक में लगातार निवेश कर रहे होते हैं, जो कि उस स्टॉक की मांग में वृद्धि का संकेत देता है।

AMC (Asset Management Company)-एएमसी

  • एसेट मैनेजमेंट कंपनी वह संस्था होती है जो म्यूचुअल फंड और अन्य निवेश योजनाओं का प्रबंधन करती है। भारत में बड़ी एएमसी कंपनियां जैसे SBI Mutual Fund, HDFC Mutual Fund प्रमुख हैं।

Asset – एसेट

  • किसी व्यक्ति, कंपनी या संस्था के पास मौजूद ऐसी कोई भी चीज़ जिसे बेचा या भुनाया जा सकता है, उसे एसेट कहते हैं। उदाहरण के लिए, शेयर, प्रॉपर्टी, म्यूचुअल फंड आदि।

Asset Allocation – एसेट अलोकेशन

  • निवेशकों द्वारा अपने फंड को विभिन्न प्रकार के एसेट्स जैसे शेयर, बॉन्ड, और रियल एस्टेट में बांटना एसेट अलोकेशन कहलाता है। इससे जोखिम और रिटर्न का सही संतुलन बनाने में मदद मिलती है।

Asset-Backed Securities – एसेट बैक्ड सिक्योरिटीज

  • यह एक प्रकार का निवेश साधन है, जो किसी एसेट (जैसे रियल एस्टेट, ऋण, आदि) द्वारा समर्थित होता है और इसे बैंकों द्वारा जारी किया जाता है।

Averaging Down – एवरिजिंग डाउन

  • यदि किसी शेयर की कीमत गिर रही है, तो निवेशक उसे और खरीदते हैं ताकि उसकी औसत कीमत कम हो सके। इसे एवरिजिंग डाउन कहा जाता है।

Bearish  Market – बेयरिश मार्केट

  • इसके विपरीत, जब शेयरों की कीमतें गिरती हैं, तो इसे बेयर मार्केट कहते हैं। इसमें निवेशकों का विश्वास कमज़ोर होता है और ज्यादातर लोग बेचने की कोशिश करते हैं।

Book Value – बुक वैल्यू

  • किसी कंपनी की संपत्ति से उसकी देनदारियों को घटाकर जो मूल्य बचता है, उसे बुक वैल्यू कहते हैं। यह कंपनी के शेयर का असल मूल्य दर्शाता है।

Bond – बॉन्ड

  • बॉन्ड एक प्रकार का ऋण होता है, जिसमें निवेशक सरकार या किसी कंपनी को पैसा उधार देता है। बदले में, उधारकर्ता ब्याज के साथ निवेशक को पैसा लौटाता है।

Buyback Price – बायबैक प्राइस

  • वह मूल्य जिस पर कंपनी अपने शेयरधारकों से अपने शेयरों को वापस खरीदती है। इससे बाजार में शेयर की उपलब्धता घट सकती है और शेयर की कीमत में वृद्धि हो सकती है।

Bullish Market – बुलिश मार्केट

  • जब शेयर बाजार में शेयरों की कीमतें लगातार बढ़ती रहती हैं, तो इसे बुलिश मार्केट कहा जाता है। इसका मतलब है कि निवेशकों का विश्वास मजबूत है और अधिकतर लोग खरीदारी कर रहे हैं।

Bid and Ask – बिड और आस्क

  • बिड: वह अधिकतम कीमत जिस पर कोई खरीदार किसी शेयर को खरीदने के लिए तैयार है।
  • आस्क: वह न्यूनतम कीमत जिस पर कोई विक्रेता अपने शेयर को बेचने के लिए तैयार है। बिड और आस्क में जो अंतर होता है उसे बिड-आस्क स्प्रेड कहते हैं।

Bond Yield – बॉन्ड यील्ड

  • बॉन्ड से मिलने वाला रिटर्न बॉन्ड यील्ड कहलाता है। इसे आमतौर पर ब्याज दर और बॉन्ड की वर्तमान कीमत के आधार पर निर्धारित किया जाता है।

Bull and Bear Market – बुल और बियर मार्केट

  • बुल मार्केट: जब बाजार में लंबे समय तक कीमतें बढ़ रही होती हैं, तो इसे बुल मार्केट कहा जाता है।
  • बियर मार्केट: जब बाजार में कीमतें गिर रही होती हैं, तो इसे बियर मार्केट कहा जाता है।

Capital Gain –कैपिटल गेन

  • किसी एसेट (जैसे शेयर) की खरीद और बिक्री के बीच के अंतर से होने वाले लाभ को कैपिटल गेन कहते हैं।

Capital Gains Tax – कैपिटल गेन टैक्स

  • यह वह कर है जो किसी एसेट (जैसे शेयर) की बिक्री पर हुए लाभ पर लगता है। भारत में लॉन्ग-टर्म और शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स अलग-अलग होते हैं।

Capital Reserve – कैपिटल रिजर्व

  • कंपनी द्वारा बनाए गए विशेष फंड को कैपिटल रिजर्व कहते हैं। यह पैसा आमतौर पर नए प्रोजेक्ट्स या एक्सपेंशन के लिए रखा जाता है।

Correction – करेक्शन 

  • जब किसी शेयर या बाजार की कीमतें तेजी से बढ़ने के बाद कुछ समय के लिए गिरने लगती हैं, तो इसे करेक्शन कहा जाता है।

Corporate Governance – कॉर्पोरेट गवर्नेंस

  • यह उस व्यवस्था को दर्शाता है जिसके तहत कंपनी का प्रबंधन किया जाता है। यह शेयरधारकों और कंपनी के हितधारकों के बीच पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करता है।

Closing Price – क्लोजिंग प्राइस

  • किसी स्टॉक का वह अंतिम मूल्य जिस पर उस दिन का व्यापार समाप्त होता है। इसका उपयोग अगले दिन की ट्रेडिंग रणनीति बनाने के लिए किया जाता है।

Correction – करेक्शन

  • जब बाजार या किसी विशेष स्टॉक की कीमत में अचानक गिरावट आती है, तो इसे करेक्शन कहा जाता है। यह अक्सर बुल मार्केट में होता है और एक अस्थायी गिरावट मानी जाती है।

Counter Trade – काउंटर ट्रेड

  • किसी ट्रेड का विपरीत व्यापार करना काउंटर ट्रेड कहलाता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी स्टॉक को पहले बेचा गया है, तो बाद में उसी स्टॉक को खरीदा जाना काउंटर ट्रेड है।

Corporate Action – कॉरपोरेट एक्शन

  • यह किसी कंपनी द्वारा की गई महत्वपूर्ण घोषणा होती है जो उसके शेयरधारकों को प्रभावित करती है, जैसे – बोनस इश्यू, स्प्लिट, डिविडेंड, आदि।

Cool-off Period – कूल-ऑफ पीरियड

  • यह वह अवधि होती है जिसमें निवेशकों को खरीदने या बेचने की गतिविधियों पर प्रतिबंध होता है। इसका उद्देश्य अत्यधिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना होता है।

Circuit Limit – सर्किट लिमिट

  • किसी स्टॉक की अधिकतम और न्यूनतम सीमा जो एक दिन में बढ़ या घट सकती है, उसे सर्किट लिमिट कहा जाता है। इससे अत्यधिक उतार-चढ़ाव को रोकने में मदद मिलती है।

Debt-Equity Ratio – डेब्ट-इक्विटी रेशियो

  • यह कंपनी के कुल कर्ज और इक्विटी के बीच का अनुपात है। इससे यह पता चलता है कि कंपनी ने अपनी संपत्तियों को किस हद तक ऋण से वित्त पोषित किया है।

Demat Account – डीमैट खाता

  • यह एक प्रकार का खाता है जो आपके शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में सुरक्षित रखता है। बिना डीमैट खाते के आजकल शेयर बाजार में निवेश संभव नहीं है।

Dividend Yield – डीवीडेंड यील्ड

  • यह उस लाभांश को प्रतिशत के रूप में दर्शाता है जो किसी कंपनी ने अपने शेयरधारकों को उनके निवेश पर दिया है। इसे शेयर के बाजार मूल्य से भाग देकर निकाला जाता है।

Distribution – डिस्ट्रिब्यूशन

  • यह स्थिति तब होती है जब निवेशक किसी स्टॉक को धीरे-धीरे बेच रहे होते हैं। इसका मतलब हो सकता है कि स्टॉक की मांग घट रही है और कीमत गिर सकती है।

Dividend – लाभांश

  • किसी कंपनी के मुनाफे का वह हिस्सा जो कंपनी अपने शेयरधारकों को वितरित करती है, लाभांश कहलाता है।

Divergence – डायवर्जेंस

  • जब किसी स्टॉक की कीमत और तकनीकी इंडिकेटर (जैसे RSI या MACD) अलग-अलग दिशा में चलते हैं, तो इसे डायवर्जेंस कहा जाता है। इससे बाजार में संभावित रुझान का अनुमान लगाया जा सकता है।

Diversification – डायवर्सिफिकेशन

  • यह निवेश रणनीति है जिसमें निवेशकों द्वारा अपने फंड को विभिन्न प्रकार के एसेट्स में वितरित किया जाता है, ताकि जोखिम को कम किया जा सके।

ETF – Exchange Traded Fund – ईटीएफ

  • यह एक प्रकार का निवेश फंड है जो स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेड होता है। ETF में म्यूचुअल फंड की तरह विविध निवेश होते हैं, लेकिन इसे स्टॉक्स की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है।

Equity – इक्विटी

  • इक्विटी का मतलब कंपनी में हिस्सेदारी या मालिकाना हक है। जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के मालिकाना हक का हिस्सा खरीद रहे होते हैं।

F&O – Futures and Options – एफ एंड ओ

  • ये दो प्रकार के डेरिवेटिव्स होते हैं। फ्यूचर्स और ऑप्शंस में निवेशक शेयरों को भविष्य की किसी तारीख पर खरीदे या बेचे जाने के लिए अनुबंध करते हैं।

Fundamental Analysis – फंडामेंटल एनालिसिस

  • यह विश्लेषण का तरीका है जिसमें निवेशक कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन, प्रबंधन और उद्योग के बारे में अध्ययन करके निवेश के निर्णय लेते हैं।
  • ये सभी शब्द स्टॉक मार्केट में सही फैसले लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके सही ज्ञान से आपको स्टॉक मार्केट में एक अच्छा और समझदार निवेशक बनने में मदद मिलेगी।

Fixed Income Securities – फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज

  • ऐसे वित्तीय साधन जिनमें निवेशक को निश्चित समय अंतराल पर ब्याज मिलता है, जैसे बॉन्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट आदि। इनमें बाजार का जोखिम कम होता है और आय स्थिर होती है।

Floating Rate – फ्लोरेटिंग रेट

  • यह ब्याज दर समय के साथ बदलती रहती है और मार्केट की ब्याज दरों पर निर्भर करती है। फ्लोटिंग रेट बॉन्ड्स में ब्याज दर बाजार दर के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है।

Floating Stocks – फ्लोटिंग स्टॉक्स

  • यह कंपनी के ऐसे शेयरों का हिस्सा है जो सार्वजनिक रूप से व्यापार के लिए उपलब्ध हैं। इसमें प्रबंधकों या इनसाइडर द्वारा होल्ड किए गए शेयर शामिल नहीं होते हैं।

FDI – Foreign Direct Investment – एफडीआई

  • जब विदेशी कंपनियां किसी देश की कंपनियों में सीधे निवेश करती हैं, तो इसे एफडीआई कहा जाता है। इससे स्थानीय उद्योगों में पूंजी का प्रवाह बढ़ता है।

FPO – Follow-on Public Offering – एफपीओ

  • जब एक कंपनी अपने IPO के बाद सार्वजनिक रूप से अतिरिक्त शेयर जारी करती है, तो उसे FPO कहते हैं। यह कंपनी के लिए अतिरिक्त पूंजी जुटाने का एक माध्यम होता है।

FPI – Foreign Portfolio Investment – एफपीआई

  • जब विदेशी निवेशक भारत के स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं, तो इसे एफपीआई कहते हैं। यह किसी देश में विदेशी पूंजी लाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

Global Markets – ग्लोबल मार्केट्स

  • यह उन शेयर बाजारों को संदर्भित करता है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हैं, जैसे कि न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE), लंदन स्टॉक एक्सचेंज (LSE) आदि।

Holding Period – होल्डिंग पीरियड

  • यह वह समय अवधि है जब कोई निवेशक किसी स्टॉक या अन्य एसेट को खरीदने के बाद रखता है, और उसे बेचने से पहले तक होल्ड करता है। होल्डिंग पीरियड जितना लंबा होता है, उतना अधिक लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन का लाभ मिल सकता है।

Hedging –हैजिंग

  • हैजिंग का मतलब जोखिम को कम करने के लिए किया जाने वाला एक उपाय है। जैसे, किसी स्टॉक में निवेश के साथ-साथ एक डेरिवेटिव खरीदना ताकि बाजार में गिरावट के बावजूद नुकसान न हो।

IPO – Initial Public Offering –आईपीओ

  • जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर आम जनता को बेचने के लिए पेश करती है, तो उसे आईपीओ कहते हैं। यह कंपनी का शेयर बाजार में प्रवेश का पहला कदम होता है।

Index – सूचकांक

  • सूचकांक (जैसे सेंसेक्स और निफ्टी) कुछ चुनिंदा शेयरों का एक समूह होता है, जो पूरे बाजार की दिशा का संकेत देता है।

Index Fund – इंडेक्स फंड

  • यह एक प्रकार का म्यूचुअल फंड होता है जो किसी विशेष सूचकांक (जैसे निफ्टी या सेंसेक्स) को फॉलो करता है। इसमें उन कंपनियों में निवेश किया जाता है जो उस सूचकांक का हिस्सा होती हैं। इसका उद्देश्य उसी सूचकांक के अनुरूप रिटर्न देना है।

Intraday Trading – इंट्राडे ट्रेडिंग

  • जब किसी शेयर को उसी दिन के अंदर खरीदा और बेचा जाता है, तो इसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है।

Insider Trading – इनसाइडर ट्रेडिंग

  • जब किसी कंपनी के अंदर के व्यक्ति (जैसे कर्मचारी, अधिकारी) गोपनीय जानकारी का उपयोग करके शेयर खरीदते या बेचते हैं, तो इसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहते हैं। यह अवैध माना जाता है।

Liquidity – लिक्विडिटी

  • लिक्विडिटी से तात्पर्य है कि किसी एसेट (जैसे शेयर) को जल्दी और आसानी से पैसे में बदला जा सकता है। मतलब जब Buyer’s की संख्या ज्यादा हो तो शेयर की प्राइस बढ़ती है और यदि Buyer’s की संख्या कम है तो शेयर की प्राइस घटती है यदि शेयर के Buyers और Sellers दोनों अच्छी संख्या में मौजूद हो तो उसे लिक्विडिटी कहते हैं |

Leverage –लिवरेज

  • लिवरेज का मतलब होता है कि अपने पास मौजूद राशि से अधिक राशि का उपयोग करना। जैसे ब्रोकर से उधार लेकर निवेश करना। हालांकि, लिवरेज से मुनाफा बढ़ सकता है लेकिन इसका जोखिम भी उतना ही अधिक होता है।

Liquidity Ratio –लीक्विडिटी रेशियो

  • किसी कंपनी के पास अपने अल्पकालिक देनदारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नकदी और अन्य संपत्तियों की मात्रा को मापने का तरीका है।

Logged-In Income – लॉगिन्ड इनकम

  • किसी निवेशक द्वारा मुनाफे में बेचे गए स्टॉक्स से प्राप्त की गई वास्तविक आय को लॉगिन्ड इनकम कहते हैं।

LTP – Last Traded Price – एलटीपी

  • किसी स्टॉक का वह अंतिम मूल्य जिस पर उसका लेनदेन हुआ है, LTP कहलाता है।

Limit Order – लिमिट ऑर्डर

  • यह एक ऐसा ऑर्डर है जिसमें निवेशक एक निश्चित मूल्य पर ही स्टॉक को खरीदने या बेचने का निर्देश देता है।

Lock-in Period – लॉक-इन पीरियड

  • यह वह अवधि है जिसमें निवेशक अपने निवेश को वापस नहीं ले सकता है। जैसे, IPO में कुछ निवेशकों के शेयरों पर एक लॉक-इन पीरियड लगाया जाता है।

Market Order – मार्केट ऑर्डर

  • यह एक प्रकार का ऑर्डर होता है जिसमें निवेशक अपने स्टॉक को मौजूदा बाजार मूल्य पर तुरंत खरीदना या बेचना चाहता है।

Market Price – बाजार मूल्य

  • किसी शेयर का वर्तमान मूल्य, जिस पर वह बाजार में खरीदा या बेचा जा सकता है, उसे बाजार मूल्य कहा जाता है।

Market Capitalization – बाजार पूंजीकरण

  • कंपनी की कुल मूल्य को दर्शाने वाला यह मापदंड है, जो उसके सभी शेयरों के बाजार मूल्य को जोड़कर निकाला जाता है।

Margin – मार्जिन

  • शेयर बाजार में उधार पर खरीदी गई राशि को मार्जिन कहते हैं। ब्रोकर निवेशकों को एक विशेष राशि तक का ऋण देते हैं ताकि वे अधिक शेयर खरीद सकें।

Mutual Fund – म्यूचुअल फंड

  • यह निवेश का एक तरीका है जिसमें निवेशकों का पैसा एक फंड में इकट्ठा किया जाता है और फिर विशेषज्ञ प्रबंधन द्वारा विभिन्न स्टॉक्स, बॉन्ड्स और अन्य सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है।

Market Capitalization – मार्केट कैप

  • किसी कंपनी के कुल शेयरों की बाजार में वर्तमान कीमत को उसकी मार्केट कैप कहते हैं। मार्केट कैप से कंपनी का आकार और उसकी बाजार में स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

Mark to Market – मार्क टू मार्केट

  • यह एक प्रक्रिया है जिसमें निवेश की वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार पुनर्मूल्यांकन किया जाता है। खासकर डेरिवेटिव्स में इसका उपयोग होता है।

NSE and BSE – एनएसई और बीएसई

  • एनएसई (NSE): नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, जो भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।
  • बीएसई (BSE): बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, भारत का सबसे पुराना और विश्व का सबसे पहला स्टॉक एक्सचेंज है।

Offering – ऑफरिंग

  • जब कोई कंपनी नए शेयर जारी करती है तो उसे ऑफरिंग कहते हैं। इससे कंपनी को नए निवेश मिलते हैं और इसके परिणामस्वरूप कंपनी का पूंजीकरण बढ़ता है।

Options – ऑप्शंस

  • ऑप्शंस एक प्रकार का डेरिवेटिव है जिसमें निवेशक किसी शेयर को भविष्य में एक तय कीमत पर खरीदने या बेचने का अधिकार रखते हैं, लेकिन इसकी कोई बाध्यता नहीं होती।

Overvalued Stock – ओवरवैल्यूड स्टॉक

  • ऐसा स्टॉक जिसका बाजार मूल्य उसके वास्तविक मूल्य से अधिक होता है। ऐसे स्टॉक्स में निवेश जोखिमपूर्ण हो सकता है।

P/E Ratio – पी/ई अनुपात 

  • यह किसी शेयर की कीमत का उसके प्रति शेयर आय से अनुपात होता है। इसका उपयोग शेयर के ओवरवैल्यूड या अंडरवैल्यूड होने का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।

Portfolio – पोर्टफोलियो

  • एक निवेशक द्वारा होल्ड किए गए विभिन्न निवेशों का समूह पोर्टफोलियो कहलाता है। इसमें शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड आदि शामिल हो सकते हैं। एक अच्छी तरह से विविधित पोर्टफोलियो जोखिम को कम करने में सहायक होता है।

Primary Market – प्राइमरी मार्केट

  • प्राइमरी मार्केट वह जगह है जहां कंपनियां नए शेयर जारी करती हैं। जैसे, आईपीओ (IPO) प्राइमरी मार्केट का हिस्सा होता है, जहां निवेशक कंपनी के नए शेयर खरीद सकते हैं।

Positional Trading – पॉजिशनल ट्रेडिंग

  • इस प्रकार की ट्रेडिंग में निवेशक किसी स्टॉक को कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक होल्ड करते हैं, ताकि लंबे समय में लाभ प्राप्त किया जा सके।

P/B Ratio – Price to Book Ratio – पी/बी अनुपात

  • यह किसी कंपनी के शेयर की कीमत का उसके प्रति शेयर बुक वैल्यू से अनुपात होता है। यह शेयर के ओवरवैल्यूड या अंडरवैल्यूड होने का मापदंड हो सकता है।

Rights Issue – राइट्स इश्यू

  • जब कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को नए शेयर खरीदने का विशेष अधिकार देती है, तो उसे राइट्स इश्यू कहते हैं। इस दौरान शेयरधारकों को शेयर रियायती कीमत पर मिलते हैं।

Ratio Analysis –रेशियो एनालिसिस

  • कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिए विभिन्न वित्तीय अनुपातों का उपयोग करना रेशियो एनालिसिस कहलाता है।

Revenue – रेवेन्यू

  • किसी कंपनी की कुल आय, जो उसने अपने उत्पादों या सेवाओं की बिक्री से कमाई है, उसे रेवेन्यू कहते हैं। यह कंपनी की कमाई का मुख्य स्रोत होता है।

ROI – रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट

  • निवेश पर मिलने वाले लाभ को प्रतिशत के रूप में दर्शाने के लिए ROI का उपयोग किया जाता है। यह निवेश के लाभ का माप है और निवेश की गुणवत्ता को दिखाता है।

ROC – Registrar of Companies – आरओसी

  • आरओसी वह सरकारी संगठन है जो सभी कंपनियों के रजिस्ट्रेशन और विनियमन को देखता है। यह कंपनी के कानूनी दस्तावेजों को सत्यापित करता है।

Repo Rate – रेपो रेट

  • यह वह ब्याज दर होती है जिस पर केंद्रीय बैंक (जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक) अन्य बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। रेपो रेट में परिवर्तन का सीधा असर बाजार पर पड़ता है।

Reversal – रिवर्सल

  • जब किसी स्टॉक का रुझान विपरीत दिशा में बदलता है, जैसे कि कीमतें बढ़ने के बाद गिरने लगती हैं या गिरने के बाद बढ़ने लगती हैं, तो इसे रिवर्सल कहते हैं।

RSI – Relative Strength Index – आरएसआई

  • यह एक तकनीकी इंडिकेटर है जो स्टॉक की गति और उसकी ओवरबॉट या ओवरसोल्ड स्थिति को मापता है। इसका स्केल 0 से 100 के बीच होता है।

Secondary Market – सेकेंडरी मार्केट

  • सेकेंडरी मार्केट वह जगह है जहां निवेशक पहले से जारी शेयरों को खरीदते और बेचते हैं। इसमें NSE और BSE जैसे स्टॉक एक्सचेंज प्रमुख हैं।

SIP – Systematic Investment Plan – एसआईपी

  • म्यूचुअल फंड में निवेश का एक नियमित तरीका है जिसमें निवेशक हर महीने या तिमाही में एक निश्चित राशि का निवेश करते हैं।

Short Selling – शॉर्ट सेलिंग

  • शॉर्ट सेलिंग तब होती है जब निवेशक किसी स्टॉक को उधार लेकर उसे बेचता है, और फिर उसे कम कीमत पर खरीदकर वापस करता है। इसका उद्देश्य कीमत गिरने पर लाभ कमाना होता है।

Stop-Loss – स्टॉप-लॉस

  • यह एक प्रकार का ऑर्डर होता है, जिसमें निवेशक अपने नुकसान को सीमित करने के लिए एक निश्चित मूल्य पर स्टॉक को बेचने का निर्देश देता है।

Sentiment Indicator – सेंटीमेंट इंडिकेटर

  • यह मार्केट में निवेशकों की भावनाओं और विश्वास का माप होता है। इसका उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि निवेशक बाजार को लेकर कितने सकारात्मक या नकारात्मक हैं।

Shares/Stocks – शेयर/स्टॉक

  • शेयर या स्टॉक किसी कंपनी में स्वामित्व का हिस्सा होते हैं। जब कोई कंपनी पैसा जुटाने के लिए अपने स्वामित्व के हिस्से (स्टॉक्स) को जनता को बेचती है, तो लोग उन हिस्सों को खरीद सकते हैं और कंपनी के मालिक बन सकते हैं। इन शेयरों को खरीदने वाले लोग “शेयरधारक” कहलाते हैं।
  • शेयर खरीदने का मतलब यह है कि आप कंपनी में एक हिस्सेदारी रखते हैं और कंपनी के मुनाफे में हिस्सा पाने के हकदार बन जाते हैं। यदि कंपनी लाभ में होती है, तो शेयर की कीमत बढ़ती है और आपको मुनाफा होता है, और अगर कंपनी घाटे में है, तो शेयर की कीमत घट सकती है, जिससे आपको नुकसान हो सकता है। शेयरधारकों को कंपनी के लाभ का हिस्सा “डिविडेंड” के रूप में भी मिल सकता है।

Split – स्प्लिट

  • जब किसी कंपनी अपने शेयरों को छोटे हिस्सों में विभाजित कर देती है तो उसे स्प्लिट कहते हैं। इससे शेयर की कीमत घट जाती है और छोटे निवेशक इसे खरीदने में सक्षम हो जाते हैं।

Spot Price – स्पॉट प्राइस

  • किसी एसेट (जैसे स्टॉक, कमोडिटी) की वर्तमान बाजार मूल्य स्पॉट प्राइस कहलाती है। इसका उपयोग फ्यूचर्स मार्केट में किया जाता है।

Share Buyback – शेयर बायबैक

  • जब कोई कंपनी अपने शेयरों को खुले बाजार से वापस खरीदती है तो इसे बायबैक कहा जाता है। इससे कंपनी के बचे हुए शेयरों की मांग और कीमत बढ़ सकती है।

Swing Trading – स्विंग ट्रेडिंग

  • स्विंग ट्रेडिंग में निवेशक कुछ दिनों या हफ्तों के लिए शेयरों को होल्ड करते हैं ताकि एक निश्चित समय में उनके मूल्य में परिवर्तन से लाभ उठा सकें।

SEBI – Securities and Exchange Board of India –सेबी

  • यह भारत की प्रमुख नियामक संस्था है जो कि स्टॉक बाजार, म्यूचुअल फंड्स और अन्य निवेश साधनों को नियंत्रित करती है।

SMA – Simple Moving Average – एसएमए

  • यह किसी स्टॉक की औसत कीमत को एक निश्चित समय अवधि के लिए दर्शाता है। इसका उपयोग तकनीकी विश्लेषण में किया जाता है ताकि स्टॉक के रुझान का अनुमान लगाया जा सके।

Technical Analysis – टेक्निकल एनालिसिस

  • यह विश्लेषण का एक तरीका है जिसमें निवेशक चार्ट्स, ट्रेडिंग वॉल्यूम, और अन्य तकनीकी संकेतकों का उपयोग करके शेयर की भविष्य की कीमत का अनुमान लगाते हैं।

Underwriting – अंडरराइटिंग

  • अंडरराइटिंग वह प्रक्रिया है जिसमें एक वित्तीय संस्था (जैसे बैंक) किसी कंपनी के शेयरों या बॉन्ड्स को खरीदने के लिए गारंटी देती है और निवेशकों तक पहुँचाती है।

ULIP – Unit Linked Insurance Plan – यूएलआईपी

  • यह बीमा का एक प्रकार है जिसमें निवेशक को जीवन बीमा के साथ निवेश का लाभ भी मिलता है। इसमें बीमा और निवेश दोनों को मिलाकर लाभ दिया जाता है।

Undervalued Stock – अंडरवैल्यूड स्टॉक

  • ऐसा स्टॉक जिसकी मौजूदा बाजार मूल्य उसके आंतरिक मूल्य से कम होती है। ऐसे स्टॉक्स में निवेश के अच्छे अवसर होते हैं।

VIX – Volatility Index – वोलाटिलिटी इंडेक्स

  • यह मार्केट में अस्थिरता या उतार-चढ़ाव का माप है। इसे “डर का इंडेक्स” भी कहा जाता है, क्योंकि इसका बढ़ना अनिश्चितता या अस्थिरता को दर्शाता है।

Volume – वॉल्यूम

  • किसी शेयर का एक दिन में कुल कितनी बार खरीदा और बेचा गया है, उसे वॉल्यूम कहते हैं।

Yield – यील्ड

  • किसी निवेश पर मिलने वाले लाभ का प्रतिशत यील्ड कहलाता है। इसे प्राप्त आय को निवेशित राशि से भाग देकर निकाला जाता है।

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निष्कर्ष –

Share Market Glossary/Share Market Vocabulary – Share Market me Use Hone Wale Words 100 शब्दों के निष्कर्ष से यह निकलता है की ये सभी शब्द स्टॉक मार्केट की बुनियादी और आवश्यक शब्दावली का हिस्सा हैं और इनकी जानकारी से निवेशक बेहतर समझ और निर्णय लेने में सक्षम हो सकते हैं।

Disclaimer:

स्टॉक मार्केट में,  सभी निवेशों में जोखिम होता है, जिसमें धन की हानि भी शामिल है। आपको अपना स्वयं का शोध करना चाहिए और निवेश करने से पहले  अपनी वित्तीय स्थिति, उद्देश्यों और जोखिम सहनशीलता पर विचार करना चाहिए।